Tuesday, March 23, 2010

गंगा लेक (ganga lake)

गंगा लेक यहां का एक पिकनिक स्पॉट माना जाता है। ईटानगर से तकरीबन १० -११ कि.मी.की दूरी पर ये गंगा लेक है । तो एक शनिवार को हम लोगों ने यहां जाने का कार्यक्रम बनाया । बस फिर क्या था ड्राईवर को बुलाया गया और चल पड़े गंगा लेक देखने। करीब १५ -२० मिनट की ड्राईव के बाद जब ड्राईवर ने गाडी रोकी तो हमें कुछ अजीएब सा लगा क्यूंकि वहां कुछ गाड़ियाँ तो खड़ी थी पर लेक हमें दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही थी। तो हमने ड्राईवर से पूछा कि लेक कहाँ है तो उसने ऊपर कम से कम चार मंजिल जितनी उंचाई की ओर जाती हुई सीढ़ियों की तरफ इशारा करके कहा कि लेक उधर ऊपर है। तो हमें आश्चर्य भी हुआ की लेक ऊपर कैसे है
खैर अब जब गए थे तो लेक तो देखना ही था। सो हम बिना कुछ सोचे गाडी से उतर कर जैसे ही चलने लगे की किसी ने आवाज लगाई टिकेट तो ले लीजिये। जब हम मुड़े तो ड्राईवर ने बताया की टिकेट भी लेना होता है और ये आवाज टिकेट काउंटर वाले ने लगाईं है।तो हमने उससे पूछ कि लेक पर जाने के लिए भी टिकेट लगता है क्या । तो उसने बड़ी ही सादगी से कहा कि अगर टिकेट नहीं होगा तो revenue कहाँ से आएगा। तो टिकेट हमने लिए और चल पड़े सीढ़ियों की ओर ।सीढ़ी पर जाने से पहले हमने सोचा की कुछ पानी वगैरा ले लिया जाए तो पता चला की वहां पर कुछ भी नहीं मिलता है । सब लोग अपने साथ ही खाना -पीना लेकर आते है।अब चूँकि और कोई चारा था नहीं सो हम लोग सीढ़ी की ओर बढे और धीरे-धीरे सीढ़ी चढ़ना शुरू किया । धीरे-धीरे इसलिए चल रहे थे क्यूंकि जल्दी-जल्दी चढ़ने से थकान भी होने लग जाती । तो ५०-६० सीढियां चढ़ने के बाद जब ऊपर पहुंचे तो नीचे गंगा लेक दिखाई दी।तो हम लोग खुश हो गए कि चलो पहुँच गए पर नहीं लेक तक जाने के लिए भी सीढ़ी जा रही थी। माने लेक तक जाने के लिए फिर से सीढ़ियों से उतरना था। और लेक तक जाने के लिए दोनों तरफ से सीढियां जा रही थी ।तो हम लोग ने बायीं तरफ जाने वाली सीढियां ली क्यूंकि उस तरफ दूर कुछ मेज-कुर्सियां लगी दिख रही थी और जो ओपन एयर रेस्तौरेंट जैसा लग रहा था और वहां कुछ लोग भी दिख रहे थे ।तो हम लोगों ने ये सोच कर की बस कुछ दूर ही होगा चलना शुरू किया पर सीढियां ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही थी बस एक अच्छी बात थी कि सीढियां बहुत अच्छी थी मतलब बहुत ऊँची-ऊँची नहीं थी । इसलिए चलने मे ज्यादा कष्ट नहीं हो रहा था। और चूँकि हरियाली और बांस के पेड़ हर तरफ नजर आ रहे थे और रास्ते मे इन पेड़ों की वजह से छाँव भी थी।और नीचे लेक का पानी दिख रहा था । पर लेक तक पहुँचने का रास्ता नहीं दिख रहा था ।सो हम लोग चलते रहे और तकरीबन २०-२५ मिनट तक चलने के बाद जब हम लोग उस रेस्तौरेंट के पास पहुंचे तो देखा कि वहां का गेट मोटे-मोटे बांस से बंद कर रक्खा था । जगह तो अच्छी थी पर गेट बंद होने के कारण वहां तक जाना एक तरह से बेकार ही होगया था ।इसलिए बस कुछ फोटो खींच कर वापिस चल पड़े क्यूंकि प्यास भी लग रही थी और वहां तो कुछ मिलता भी नहीं था । :(
वैसे वहां कोई boat वगैरा भी नहीं दिखाई दे रही थी । सिवाय इस boat के ।
बाद मे पता चला की दूसरा वाला रास्ता भी उस रेस्तौरेंट की तरफ जाता था क्यूंकि जो लोग दाहिनी ओर वाली सीढ़ी से गए थे वो भी उस उस रेस्तौरेंट के पास हम लोगों को मिले थे । वैसे अगर गंगा लेक का पूरा चक्कर लगाए तो ४० मिनट से एक घंटा लगता है

खैर वहां कुछ समय बिता कर हम लोग वापिस चल पड़े। और इस ट्रिप से ये सबक लिया कि अब जब कहीं भी जायेंगे तो कुछ खाना -पीना अपने साथ लेकर ही जायेंगे। :)






17 comments:

  1. तस्वीरें देखकर तो वहाँ जाने का मन हो रहा है.
    रोचक यात्रा वृतांत.

    ReplyDelete
  2. अच्छी जानकारी मिली .जाने का प्रयास करेंगे

    ReplyDelete
  3. @टिकेट नहीं होगा तो revenue कहाँ से आएगा। very strange logic ! thnx for a lovely post !

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुन्दर झील है....बढ़िया पोस्ट........."
    amitraghat.blogspot.com

    ReplyDelete
  5. मनभावन चित्र
    शानदार विवरण

    और ये word verification क्यों है भई!

    बी एस पाबला

    ReplyDelete
  6. ममता जी, आप ब्लॉग के माध्यम से जो महत्वपूर्ण जानकारी चित्रों सहित दे रही हैं, वह काबिलेगौर है। इसी प्रकार रचनारत रहें, यही कामना करता हूँ
    सुभाष नीरव

    ReplyDelete
  7. साहित्य की विधा से लुप्त यात्रा वृतांत पढकर और देखकर अपने देश के उस प्रदेश को देखने का लोभ उभर कर सामने आ गया जो सर्वथा अनदेखा है..धन्यवाद!!

    ReplyDelete
  8. मनमोहक चित्रण - धन्यवाद्

    ReplyDelete
  9. Sachitr aur rochak yatra ghar baithe karva dee...Chitr to behad sundar hain!

    ReplyDelete
  10. A wonderful place on earth ,thanks for sharing infro n pics.
    you are welcom..mk
    http://www.youtube.com/mastkalandr

    ReplyDelete
  11. ब्लागजगत में आपका स्वागत है!अपने विचारों को लिखिए और दूसरों के विचार पढ़िए!आपके लेखन की सफलता हेतु मेरी शुभकामनायें!

    ReplyDelete
  12. पूर्वी भारत के इस छोर से जानकारियां देने के लिए धन्यवाद।

    ReplyDelete
  13. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

    ReplyDelete
  14. bahut....bahut....bahut.....bahut.....bahut....dhanyavaad..... aabhaar.....aur shubhkaamnaaye.....mamtaa.......!!!

    ReplyDelete
  15. इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

    ReplyDelete
  16. जनसंख्या ही नहीं है वहां और देश के बाकी हिस्सों के लोग जाते नहीं हैं। उन्होने तो शिमला-नैनीताल ही सुना है बस।

    ReplyDelete
  17. ममता जी, नमस्कार
    ये तो नचिकेता ताल जैसी है

    ReplyDelete