Monday, August 23, 2010

फ्रोजन लेक्स ऑफ़ तवांग frozen lakes of tawang (तवांग ४)

तवांग की यात्रा के दौरान वहां की फ्रोजन लेक्स के बारे मे पता चला जिसे सुनकर थोडा आश्चर्य भी हुआ की तवांग जैसी जगह मे लेक्स भी है । वहां पर छोटी-बड़ी बहुत सारी तकरीबन १०० से भी ज्यादा लेक्स है पर उनमे से कुछ बहुत मशहूर है जैसे PT Tso (panggang- teng- Tso ) जो की १४ की.मी. की दूरी पर है और वहां से तकरीबन २०-२५ की.मी. आगे जानेपर jong-nga-tseir या shungetser lakeजिसे अब माधुरी लेक भी कहा जाता है ,पड़ती है ।और पूरे ४० -४५ की.मी. के रास्ते मे ढेरों लेक्स पड़ती है जिन्हें देखकर मन खुश होता रहता है। हालाँकि रास्ता बहुत खराब है और बहुत ही दुर्गम से पहाड़ है पर थोड़ी-थोड़ी बर्फ पहाड़ों पर जमी हुई, याक , लेक्स और रास्ते भर आर्मी की गाड़ियों को देखते हुए वो खराब रास्ता भी पार हो जाता है ।पूरे रास्ते बस आर्मी के कैंप और बंकर नजर आते है।

तो अगले दिन सुबह सुबह वहां जाने का कार्यक्रम बनाया गया और साथ मे खाना-पानी वगैरा भी पैक करा गया क्यूंकि इन लेक्स पर कहीं भी कुछ भी खाने के लिए नहीं मिलता है। और रास्ते मे कुछ मिलने का सवाल ही नहीं है। खैर सुबह २ गाड़ियों (टाटा सुमु ) मे हम लोग चले ।

तो सबसे आर्मी की एक चेक पोस्ट पड़ी और वहां पर एंट्री करके आगे चले तो ५ की.मी.जाने पर आर्मी की एक और चेक पोस्ट हर मैदान फ़तेह मराठा ग्राउंड पड़ी जहाँ एक बार फिर से एंट्री करनी पड़ी और फिर वहां से आगे बढ़ने पर पेड़ों और पहाड़ों पर जमी बर्फ और इधर-उधर घूमते हुए याक नजर आये ।वैसे वहां के लोगों ने बताया की इस पूरे रास्ते बहुत सुन्दर orchids दिखते है जिनकी वजह से रास्ता बहुत खूबसूरत लगता है पर चूँकि उस समय सीजन नहीं था इसलिए हम orchids नहीं देख पाए।
६ की.मी. और आगे जाने पर PT Tso lake पड़ी और जब हम लोग कार से उतरे तो बूडूम - बूडूम की आवाज आई ।और जब लेक के पास पहुंचे तो बर्फ चटकने की आवाजें बिलकुल साफ़ सुनाई देनी लगी। और इस बूडूम-बूडूम मे एक अजीब सी गूँज सी हो रही थी। जिसे सुनकर बहुत रोमांच सा हो रहा था। लेक के इस तरफ बौद्ध धर्म के झंडे जिन्हें माना जाता है की ये हवा को और आस-पास के माहौल को शुद्ध करते है वो लगे हुए थे और लेक के दूसरी तरफ पहाड़ थे जिनमे कुछ हरे रंग के और कुछ लाल रंग के पेड़ और उन पर थोड़ी-थोड़ी बर्फ बड़ी अलग से लग रही थी


PT Tso पर कुछ फोटो वगैरा खींच कर हम लोग आगे चल पड़े तो थोड़ी दूर पर एक और आर्मी की चेक पोस्ट पड़ी।और यहां से एक रास्ता कट कर बूमला जाता है जो आगे चीन के बार्डर तक जाता है। खैर हम लोग बूमला ना जाकर आगे बढे और ऊँचे-नीचे उबड़-खाबड़ रास्ते से होते हुए shungetser lake यानी माधुरी लेक की तरफ बढ़ते रहे ।रास्ते भर lakes तो बहुत दिखी पर उनमे से कुछ lakes आधी फ्रोजन यानी जमी हुई थी तो आधी मे पानी दिख रहा था।जैसे-जैसे माधुरी लेक के पास पहुँचने लगे तो सड़क के दोनों ओर और सड़क पर भी बर्फ दिखाई पड़ी। और इस माधुरी लेक के लिए कहा जाता है ये लेक १९७३ मे आई बाढ़ का परिणाम है। और हाँ इसे माधुरी लेक क्यूँ कहा जाता है ये तो ताया ही नहींवो क्या है ना की फ़िल्म कोयला की शूटिंग के लि माधुरी और शाह रूख खान यहां आये थे और बस उसके बाद से इस लेक को माधुरी लेक कहा जाने लगा।( ये माधुरी लेक की ऊपर से खींची हुई फोटो है )इस लेक पर पहुंचकर गाडी से उतरने पर पहले तो कुछ सेना के जवान दिखाई दिए और फिर हम लोग एक छोटे से लकड़ी के पुल से चलकर कच्चे-पक्के रास्ते से होते हुए इस फ्रोजन माधुरी लेक तक पहुँच गए।लेक के चारों और काले पत्थरों के पहाड़ दिखाई दे रहे थे और लेक के बीच-बीच मे सूखे हुए पेड़ के तने दिखाई दे रहे थे। और लेक पर पैर रखते ही एक अदभुद सा रोमांच हुआ पर हम लोग बहुत आगे तक नहीं गए पर हम लोगों के साथ गए हुए कुछ लोग चल कर लेक के बिलकुल बीच मे पहुँच गए थे और हमें भी कह रहे थे की मैडम डरिये मत ,आप लोग भी आ जाइए,पर हमारी हिम्मत नहीं हो रही थी (अरे भाई टी.वी.मे देखा है की किस तरफ अचानक ही बर्फ टूट जाती है ) पर जैसे ही बर्फ मे से ब्डूम की आवाज आई वो सभी चिल्लाते हुए दौड़ते हुए वापिस हम लोगों की तरफ भागे।फिर वहां बर्फ पर थोड़ी देर रूक कर हम लोग वापिस लौट कर बाहर आ गए और अपने साथ लाये हुए ब्रेड पकोड़ा ,सैंडविच ,पकोड़े, चाय,पेप्सी वगैरा खाया -पिया और एक बार फिर गाडी मे वापसी की यात्रा शुरू की।वैसे यहां पर एक रेस्तौरेंट बना हुआ है पर चलता कम है क्यूंकि वहां ज्यादा लोग जाते नहीं है। (उस दिन तो बंद ही था ) :(और जब हम लोग खा-पी रहे थे तो वहां ३-४ doggi आ गए थे ।और बहुत शांति से बैठ गए तो हम लोगों ने उनको भी खाना खिलाया। वहां से हम लोग २ बजे तक निकल लिए क्यूंकि वहां पर अँधेरा बहुत जल्दी हो जाता है और रास्ते मे लाईट होती नहीं है और रास्ते भी कुछ ज्यादा अच्छे नहीं है। और रास्ते मे कब क्या मुसीबत आ जाए कहा नहीं जा सकता।
वो ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्यूंकि जैसे हम ही लोग वापिस लौटने लगे तो ४-५ की.मी.बाद ही बीच सड़क मे एक आर्मी का ट्रक कुछ इस तरह से खराब हुआ था और सड़क पर खड़ा था की ना तो कोई गाडी आ सकती थी और ना ही जा सकती थी। और वो लोग आराम से गाडी बनाने मे लगे थे। १५-२० मिनट तक हम लोग खड़े रहे फिर हम लोगों ने ड्राईवर को कहा कि जाकर बोलो कि ट्रक को एक तरफ साईड मे कर ले । पर ट्रक को हिलाना भी आसान नहीं था क्यूंकि चढ़ाई पर ट्रक खराब हुआ था।और ड्राईवर के कहने पर पहले आर्मी वालों को समझ भी नहीं आया । उन्हें लगा कि क्या बेवकूफी की बात कर रहे है। पर खैर आधे घंटे बाद उनकी मदद के लिए एक और ट्रक आया और फिर उन लोगों ने ट्रक को थोडा धक्का देकर एक साइड मे किया और फिर हम लोग वहां से निकल पाए।इस lake से ५ की.मी. आगे टी. गुम्पा (Tak-Tsang Monastery) पड़ती है । उसका जिक्र अगली पोस्ट मे।

Thursday, August 19, 2010

कॉमन वेल्थ गेम्स क्वींस बैटन रिले ( C W G queen's baton relay in itanagar)

अब चाहे जितने भी scam हो कॉमन वेल्थ गेम्स को लेकर पर जिस भी राज्य मे क्वींस बैटन आती है वो पूरा राज्य जोश मे भर जाता है अब जैसे जुलाई मे जब क्वींस बैटन यहां आई तो ऐसा ही कुछ अरुणाचल मे भी हुआ था

जैसा
कि हम सभी को पता है कि इस साल अक्तूबर से दिल्ली मे कॉम वेल्थ गेम्स होने वाले है
और
इसके लिए लन्दन से क्वीन एलिजाबेथ 2 ने खिलाड़ियों के लिए न्देश इस बैट मे भेजा है और इस सन्देश को अक्तूबर को दिल्ली मे खेलों के उदघाटन समारोह मे पढ़ा जाएगा क्वीन के सन्देश के साथ इस बैटन ने २९ अक्टूबर २००९ मे बकिंघम पैलस से अपना सफ़र शुरू किया ये बैटन ७० देशों और पूरे भारत वर्ष मे घूमने के बाद अक्टूबर को दिल्ली पहुंचेगी

इस बैटन के साथ तकरीबन १०-१५ लोगों की टीम चलती है इस टीम को जनरल कदीयान लीड कर रहे थे इस बैटन की खासियत ये है कि जब इसमें लाईट जलती है तो भारत के झंडे का तिरंगा रंग इस बैटन पर नजर आता हैजो बहुत ही खूबसूरत लगता है दिन मे और रात मे बैटन बिलकुल अलग लगती है

और २२ जुलाई को कॉमन वेल्थ गेम्स की क्वींस बैटन अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर मे आई थी अरुणाचल प्रदेश दसवां राज्य है जहाँ ये बैटन अपना सफ़र करते हुए पहुंची थी अरुणाचल प्रदेश के दो डिस्ट्रिक्ट तवांग और ईटानगर मे इस बैटन को जाना था ,पहले इसे तवांग और फिर ईटानगर आना था और इसके लिए गौहाटी से इस बैटन को लेकर हेलीकाप्टर से तवांग के लिए लोग रवाना हुए पर भूटान के आगे मौसम खराब होने के कारण हेलिकॉप्टर वापिस गौहाटी लौट आया फि गौहाटी से हेलिकॉप्टर से ये बैटन ईटानगर गयीनाहारलागन हेलीपैड पर हेलीकाप्टर के पायलेट और पादी रिको इस बैटन के साथ
अब जब हम ईटानगर वापिस लौट आये है तो हम भी इस क्वींस बैटन रिले को देखने पहुँच गए सबसे पहले नाहर लागन हेलीपैड पर सवा दो बजे इस बैटन को पादी रिको जो की पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी है उन्होंने इसे रिसीव किया और बैटन का रिले शुरू हुआ जिसमे convoy और relay दोनों था बैटन के साथ शेरा जो की कॉमन वेल्थ गेम्स का मेस्कोट है वो भी आया था जैसा की आप इन कुछ फोटो मे देख सकते हैराजीव गाँधी स्टेडीयम मे बच्चों के बीच मे शेरा और नीचे वाली फोटो बैंक्वेट हाल की है जहाँ शेरा जब stage पर गए थे तो वापिस उतरने का नाम ही नहीं ले रहे थेपूरे stage पर घूम रहे थे :)और भाई जब हम relay देखने गए तो फिर शेरा से हाथ कैसे ना मिलाते :) चूँकि इस बैटन मे relay और convoy दोनों था इसलिए कुछ दूर खिलाडी दौड़ते थे तो कुछ दूर convoy इस बैटन को लेकर चलता थाये relay करीब घंटे की थीजिसमे नाहर लागन से होकर राजीव गाँधी स्टेडीयम,सांगो होटल,जेनरल हॉस्पिटल, लागुन ब्रिज,डी.सी. ऑफिस,राज भवन ,इटा फोर्ट,टी.जी.गुम्पा,लेजी काम्प्लेक्स,पंजाबी ढाबा,आई.जी.पार्क,बी.बी.प्लाज़ा,आकाशदीप मार्केट,निर्वाच वन,से होते हुए बैनक्वेट हॉल मे आनी थीयानी की पूरे ईटानगर मे इस बैटन को घुमाया गया
हेलीपैड से सबसे पहले एक काफिले के साथ इस बैटन को राजीव गाँधी स्टेडीयम ले जाया गया जहाँ इस बैटन को रक्खा या और फिर मुख्य अतिथि के छोटे से भाषण के बाद इस बैटन को gumpe rime जो की फूटबाल खिलाडी है ये बैटन उन्हें सौंपी गयी और gumpe rime ने पूरे स्टेडीयम का चक्कर लगाया
और वहां से ये बैटन अनेकों खिलाड़ियों और officials के हाथोंमे होती हुई शाम साढ़े बजे आई .जी. पार्क पहुंची और वहां से बैनक्वेट हॉल तक अलग-अलग खेलों जैसे फूटबाल,बैडमिनटन,और वेट लिफ्टिंग के खिलाड़ियों ने इस बैटन को लेकर रिले किया यानी इसे लेकर दौड़ेजब ये बैटन बैनक्वेट हॉल के गेट पर पहुंची तो वहां से अरुणाचल प्रदेश के स्पोर्ट्स सेक्रेटरी इस बैटन को लेकर दौड़े और पोर्टिको मे ये बैटन अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव को सौंपी गयी और वहां से मुख्य सचिव इस बैटन को लेकर बैनक्वेट हाल के अन्दर गए और इस बैटन को पेडस्टल या इसके स्टैंड पर रख दिया गया और फिर फोटो खींचने और खिंचवाने का सिलसिला शुरू हुआ और उसके बाद अरुणाचल प्रदेश की विभिन्न tribes ने शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया
अगले दिन २३ जुलाई को ये बैटन अरुणाचल प्रदेश से निकल कर अपने आगे के सफ़र पर चल पड़ी यानी कि दूसरे राज्य

Monday, August 16, 2010

ईटानगर मे स्वतंत्रता दिवस समारोह

कल १५ अगस्त को सारे भारत वर्ष की तरह ईटानगर मे भी स्वतंत्रता दिवस काफी जोश से मनाया गया। हालाँकि यहां एक दिन पहले बारिश हुई थी जिसकी वजह से १५ अगस्त को मौसम काफी सुहावना था । हाँ थोड़ी-थोड़ी बूंदा-बादी हो रही थी पर उससे लोगों के जोश और उत्साह मे कोई कमी नहीं थी।क्यूंकि लो छाता लगाकर परेड देख रहे थे ।सुबह -सुबह ६ जब हम लोग उठे तो देखा सर्किट हाउस मे (हम अभी यही रह रहे है) बड़ी चहल-पहल दिखी और छोटे-छोटे बच्चे तैयार होकर इकठ्ठा हो रहे थे पूछने पर पता चला कि सभी बच्चे झंडा फहराने के लिए इकठ्ठा हो रहे है। तो सर्किट हाउस वालों से पूछने पर पता चला कि सात बजे झंडा फहराया जायेगा। बस फिर हम अपना कैमरा लेकर तैयार हो गए फोटो खींचने के लिए। और ठीक ७ बजे सर्किट हाउस के जे.इ.ने झंडा फहराया और सभी ने राष्ट्रीय गान भी गाया और उसके बाद जे.इ.ने एक छोटा सा भाषण भी दिया और फिर बच्चों को लड्डू और रसगुल्ले बांटे गए ।इसके बाद साढ़े आठ बजे हम लोग तैयार होकर इंदिरा गाँधी पार्क गए जहाँ स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए लोग जमा हो रहे थे । ठीक ९ बजे यहां के मुख्य मंत्री दोरजी खंडू समारोह स्थल पर आये और उन्होंने तिरंगा झंडा फहराया।फिर उन्होंने परेड का निरीक्षण कीया।परेड के निरीक्षण के समय डी.आई.जी.देओल भी उनके साथ थी और उसके बाद उन्होंने एक लम्बा सा भाषण दिया जिसमे उनकी सरकार क्या-क्या कर रही है उसके बारे मे बताया ।उसके बाद यहां के मुख्य सचिव तबम बाम ने उन लोगों के नाम पढ़े जिन्हें इस साल गोल्ड और सिल्वर मेडल दिए जाने थे।इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया
उसके बाद विभिन्न रेजिमेंट्स ने और स्कूल के बच्चों ने परेड की ।
जिसमे सबसे पहले यहां की tribes ने कुछ नृत्य प्रस्तुत किये और उसके बाद स्कूल के बच्चों ने कुछ बहुत ही खूबसूरत नृत्य प्रस्तुत किये जिसमे माँ तुझे सलाम ,मिले सुर मेरा तुम्हारा ,ऐ मेरे वतन के लोगों और जोधा अकबर के गीत थेइस फोटो मे नीले कपडे वाले सैनिकों के बीच मे जो बैठे है वो अकबर है। :)
तकरीबन डेढ़ घंटे तक ये समारोह चला और उसके बाद सबसे अच्छी परेड और सबसे अच्छे नृत्य को पुरस्कार दिया गया और इस फोटो मे मिले सुर मेरा तुम्हारा प्रस्तुत करने वाले बच्चे प्रथम पुरस्कार की अपनी ट्राफी के साथ जीत की ख़ुशी मनाते हुए दिखाई दे रहे है ,वैसे इनका विडियो हम you tube पर अपलोड करने वाले है । और बाकी सभी को पार्टीसीपेशन प्राइज दिया गया।


और इस तरह ६३वाँ स्वतंत्रता दिवस समारोह समपन्न हुआ ।