छठे दिन दिन फिर से सभी लोग सुबह mopin ग्राउंड मे इकठ्ठा होते है और आयोजित जगह पर लंच और डिनर करने जाते है। और यहां भी खूब डांस वगैरा होता है। और एक अच्छी बात ये होती है कि आम जनता के आने-जाने के लिए बस वगैरा की सुविधा भी लोगों को उपलब्ध कराई जाती है। जिससे उन्हें आने-जाने मे परेशानी ना हो। सातवें दिन मोपिन नाईट मनाई जाती है जिसमे खूब नाच-गाना होता है। और आठवें दिन इस festival का समापन होता है।
इस festival के माध्यम से लोगों को ये सन्देश जाता है कि agricultural season शुरू हो गया है । मोपिन देवी के आशीर्वाद से और व्यक्ति की कड़ी मेहनत से समृद्धि,अच्छी सेहत और धरती पर रहने वाले सभी वन्य जीव-जन्तुओं को संरक्षित किया जा सकता है। (It is the ritual for fertility of crops,plants,animals,and human beings.)
मोपिन (agriculture) कृषि की देवी का नाम है। mopin anv (मदर) ने सबसे पहले अबू तानी (तानी ग्रुप का पहला व्यक्ति जो सबसे पहले धरती पर आया था। ) को बोने की कला (art of cultivation)सिखाई थी। ना केवल खेती की कला सिखाई बल्कि mopin और उनकी २ बेटियों piqku pintv और dwyww taamww ने खेती और बोने के काम आने वाली वस्तुएं और बीज अबू तानी को दिखाए और उनका प्रयोग करना भी सिखाया । और mopin anv तुलना अन्नपूर्णा देवी और लक्ष्मी से की जा सकती है ।
इस दिन सभी बड़े और बच्चे सफ़ेद रंग के कपडे पहनते है क्यूंकि सफ़ेद शुद्धता और शान्ति का प्रतीक है। महिलायें हरे मोतियों की लम्बी सी माला पहनती है तथा कमर मे करधनी सी पहनती है। और सभी पुरुष सफ़ेद रंग की जैकट और नीले रंग के मोतियों की माला पहनते है। और कुछ लोग सफ़ेद टोपी पहनते है तो कुछ लोग बम्बू की बनी टोपी भी पहनते है। (हम को भी सफ़ेद रैप अराउंड दिया गया जिसे हमने डिनर मे पहना था ) :)
५ अप्रैल को हम भी ईटानगर मे बने mopin ग्राउंड मे mopin festival को देखने गए थे।हालाँकि इस दिन खूब बारिश हो रही थी और एक बार तो हम लोग यहां जाने का प्रोग्राम कैंसिल भी कर रहे थे पर फिर जब थोड़ी बारिश रुकी तो हम लोगों ने सोचा की चल कर देख ही लिया जाए। और जब मोपिन ग्राउंड मे पहुंचे तो वहां मौजूद लोगों का जोश देखकर लगा की अच्छा हुआ जो हम लोग आ गए वर्ना इस साल इस festival को देखने का मौका चूक जाते।
मुख्य फेस्टिवल के दिन सुबह ७ बजे से ही लोग मोपिन ग्राउंड मे इकठ्ठा होने लगते है और फिर दोपहर तक कार्यक्रम चलता है। जिसमे सबसे पहले rice beer सर्व की जाती है और इनका पारंपरिक डांस पोपिर (popir) शुरू होता है। उसके बाद मोपिन देवी को स्थापित किया जाता है।हालाँकि हम ये देख नहीं पाए थे क्यूंकि हम जरा देर से पहुंचे थे । :(
festival शुरू करने के पहले mopin anthem भी गाया गया। समारोह के दौरान ही बीच-बीच मे मुख्य अतिथि और विशेष अतिथि ने भाषण भी दिया और साथ- साथ popir डांस भी प्रस्तुत किया गया। । इस अवसर पर खिलाड़ियों को पुरस्कार भी दिए जाते है।और आखिर मे सभी मेहमान मिलकर डांस करते है। और डांस के दौरान piqku pintv और dwyww taamww का उदघोष करते रहते है।
mopin festival के दौरान मिथुन की बलि चढ़ाई जाती है। और बलि चढाने के पहले लोग मिथुन की पूजा करते है , और बलि के बाद मिथुन के बाल और रक्त को लोग अपने-अपने घर ले जाते है क्यूंकि इसे बहुत auspicious माना जाता है।
मिथुन की बलि के बाद एक बार फिर सभी लोग चावल का पेस्ट सभी को बिलकुल उसी तरह लगाते है जिस तरह होली मे हम लोग गुलाल लगाते है।
और समारोह के खत्म होने के बाद हम लोग भी आयोजित जगह पर लंच खाने गए । और वहां पर एक बार फिर से चावल का पेस्ट लगाकर स्वागत किया गया । वहां पर भी खूब डांस और गाने का कार्यक्रम हुआ। साथ ही बहुत बढ़िया लंच भी हुआ। शाम को हम लोग भी बिलकुल पारंपरिक पहनावे मे मतलब सफ़ेद ड्रेस मे गए और मोपिन festival का भरपूर आनंद लिया। और फिर

और फिर ७ को मोपिन नाईट का मजा लिया। :)
मोपिन महोत्सव का नाम तो उत्तर भारत में किसी ने सुना ही नहीं होगा ..पर आपकी पोस्ट ने हम सब को इस महोत्सव से अवगत करवा दिया ..शुक्रिया आपका..."
ReplyDeleteअभी आपका कमेन्ट मिला वहां से यहाँ आने पर नया ब्लॉग देखा तो आप यहाँ व्यस्त है :) अभी कुछ पढ़ा है यह बहुत रोचक ढंग से लिखा है आपने बाकी आराम से पढ़ते हैं ...बुक मार्क कर लिया हैयह
ReplyDeleteममता जी,
ReplyDeleteनई जगह पर नया ब्लॉग अच्छा लगा । जिले का नाम(उच्चारण) ’आलो’ तो नहीं?
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ReplyDeleteजी इसे आलो या अलो कहा जाता है।
ReplyDeleteमोपिन उत्सव के बारे में जानकारी के लिए आभार -इस सांस्क्रतिक पर्वो से बलि जैसी नृशंस प्रथायें कब ख़त्म होगी !
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